सेल्फ रिलायंस का हिंदी सारांश | Summary of Emerson's Self Reliance in Hindi

 Emerson's Self Reliance Summary in Hindi

(सेल्फ रिलायंस का हिंदी सारांश)

Introduction : Emerson :-

राल्फ वाल्डो इमर्सन, जिन्हें 'द सेज ऑफ कॉनकॉर्ड' के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध अमेरिकी निबंधकार, कवि और एक महान साहित्यकार थे।  वे एक दार्शनिक भी थे, जिनकी रचनाओं में पारलौकवाद (transcendentalism) का स्पर्श है।  उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से गुलामी(slavery) के मुद्दे को उजागर करने के साथ-साथ इसके उन्मूलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  उनका निबंध Self Reliance एक महत्वपूर्ण रचना है जो विचार की स्वतंत्रता(independence of thoughts) और व्यक्ति के स्वयं के विवेक में विश्वास रखने के मूल्य पर बल देता है।
Summary of Self Reliance by Emerson in Hindi
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📃 Summary of Self Reliance in Hindi (सेल्फ रिलायंस का सारांश) :-

एक पारलौकिकवादी(Transcendentalist) होने के नाते, उनका निबंध- Self Reliance, व्यक्तिवाद(Individualism) और अपनी अंतरआत्मा की बात को मानने की पवित्रता तथा उसकी अच्छाई पर जोर देता है।   1941 में प्रकाशित, यह निबंध अपने विचारों में आत्मनिर्भर होने पर जोर देता है और एक  सदगुण के रूप में आत्म-आज्ञाकारिता और आत्मनिर्भरता की खोज करता है।  यहां इमर्सन का तर्क है कि एक व्यक्ति को अपनी अंतर्दृष्टि को लोकप्रिय लेखकों और दार्शनिकों की तुलना में भी अधिक महत्व देना चाहिए।  एक मझा हुआ विचारक उस पुरानी परंपरा जिसे हर कोई मानता है के साथ जाने के बजाय विचार की मौलिकता(नयापन) को महत्व देता है।

इमर्सन का मानना ​​​​है कि प्रत्येक व्यक्ति में महान प्रतिभा और गहरी सोच की क्षमता होती है, लेकिन इसे केवल स्वयं पर विश्वास करके तथा अपनी अंतर्दृष्टि एवं प्रवृत्ति को अपना कर ही महसूस किया जा सकता है।  हमें अपनी कल्पनाओं और शक्तियों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।  हम इसे शिशुओं, बच्चों, किशोरों और यहां तक ​​कि जानवरों में भी देख सकते हैं।  वे समाज के नियमो की उपेक्षा करने को आतुर रहते  हैं। वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखते हैं।  उनकी तरह हमें भी गैर-अनुरूपता(non-conformity) को अपनाना चाहिए तथा पथ प्रदर्शन के लिए खुद पर ही निर्भर रहना चाहिए।

 फिर इमर्सन उन बाधाओं की बात करते हैं जो मनुष्य के आत्मनिर्भर बनने के मार्ग को और उसके स्वयं से सोचने की उसकी स्वाभाविक क्षमता को जटिल बनाती हैं।  सामाजिक अनुरूपता और अनुकरण तथा निरंतरता की चाह इसमे सबसे बड़ी बाधा है।  इतिहास के हर महान व्यक्ति ने परंपरा और बन्धनों में बंधेने से इनकार किया है।  महान व्यक्ति सामाजिक नियमों और परंपराओं से बंधे रहने के बजाय एकांतता को तरजीह देता है।  ऐसा करने के कारण लोगों में उसके प्रति अक्सर गलत समझ विकसित हो जाती है और उसे उनके द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाता है लेकिन वह इस अस्वीकृति और पूर्व धारणा से नहीं डरता।

 इमर्सन अमेरिकी संस्कृति पर अनुरूपता(conformity) के नकारात्मक प्रभाव के बारे में अपनी चिंताओं को भी जाहिर करते हैं।  अनुरूपता और निरंतरता का पालन करने से लोगो मे विवेक कम हो गया  है।  उनका तर्क है कि प्रत्येक व्यक्ति का अलौकिक सत्ता से व्यक्तिगत संबंध होता है, व्यक्ति ईश्वर और ब्रह्मांड से जुड़ा हुआ होता है।  हम अंतर्निहित वास्तविकता से जुड़े हुए हैं और हमारा ज्ञानोदय हमारे भीतर से शुरू होता है।  यही सुख और शांति का मार्ग है।

 इमर्सन अपने निबंध का समापन आत्मनिर्भरता को आत्मसात करने और अपने आंतरिक self(स्व) के साथ संबंध विकसित करने के  आह्वान के साथ करते हैं।  उनका तर्क है कि हमें अपने आप को किसी पर भी आश्रित करना बंद कर देना चाहिए बल्कि अपने स्वयं के अंतर्ज्ञान से खुद को नियंत्रित करना चाहिए।  आत्मनिर्भरता ही हमारी वास्तविक क्षमता और आंतरिक शांति को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।

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