भोली का चरित्र स्केच Character Sketch of Bholi in Hindi (Class-10)
Bholi's Character Sketch in Hindi
Q. भोली का चरित्र चित्रण हिंदी में कीजिए।
Ans:
भोली एक साधारण लड़की थी। उनका असली नाम शुलेखा था। वह एक अंतर्मुखी (introvert) और मासूम बच्ची थी, इसलिए उसे 'भोली' कहा जाने लगा। उसकी उम्र के दो साल के भीतर, उसके साथ दो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं। पहला, वह खाट से गिर गई और दूसरी, उसे चेचक का दौरा पड़ा। एक ने उसके दिमाग को थोड़ा क्षतिग्रस्त कर दिया और दूसरे ने उसके पूरे शरीर पर निशान छोड़े।
📃परिचय (Bholi/भोली) :-
भोली कक्षा 10 की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक के 'भोली' नामक अध्याय की एक पात्र है। यह शुलेखा नाम की एक साधारण लड़की के जीवन और संघर्ष की कहानी है। यह कहानी दर्शाती है कि भोली का चरित्र समय के साथ अपने शिक्षक के उचित मार्गदर्शन में किस तरह से विकसित हो जाता है। यह कहानी एक भारतीय उपन्यासकार, पत्रकार और फिल्म निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास (के.ए. अब्बास) के द्वारा लिखी गई थी।
✒️भोली का चरित्र रेखाचित्र (Character Sketch of Bholi in Hindi) Short Answer:-
भोली एक साधारण लड़की थी। उनका असली नाम शुलेखा था। वह एक अंतर्मुखी (introvert) और मासूम बच्ची थी, इसलिए उसे 'भोली' कहा जाने लगा। उसकी उम्र के दो साल के भीतर, उसके साथ दो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं। पहला, वह खाट से गिर गई और दूसरी, उसे चेचक का दौरा पड़ा। एक ने उसके दिमाग को थोड़ा क्षतिग्रस्त कर दिया और दूसरे ने उसके पूरे शरीर पर निशान छोड़े।
✒️(Character Sketch of Bholi in Hindi) Long Answer:-
भोली का असली नाम शुलेखा है। वह एक सीधी-सादी और बहुत मासूम बच्ची है इसलिए उसका नाम भोली पड़ गया। वह गांव के राजस्व अधिकारी (नंबरदार) रामलाल की चौथी बेटी थी।
जब वह केवल दस महीने की थी, तब वह अपनी खाट से गिर गई थी, जिससे उसके सिर में चोट लग गई। इसका उसके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा।
इसके अलावा, दो साल की उम्र में उसे चेचक (small-pox) का सामना करना पड़ा। इसने उसके पूरे शरीर पर कई काले धब्बे और निशान छोड़े। वह पांच साल की उम्र तक बोल नहीं पाई। जब उसने बोलना शुरू किया तो हकलाती ( अटक-अटक कर बोलना) थी। वह अन्य बच्चों से बात नहीं करती थी क्योंकि वे अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य भी उन्हें नीची नजर से देखते थे।
भोली की मानसिक स्थिति और उसके प्रति अन्य लोगों के रवैए ने उसके आत्मविश्वास को कम कर दिया था। लेकिन भोली हर चीज में बदकिस्मत नहीं थी। वह भाग्यशाली थी कि उसे एक अच्छी शिक्षका मिली जो वास्तव में उसकी स्थिति को समझती थी। उन्होनेे उसके साथ सहज व्यवहार किया । उनके सहयोग तथा अपनी मेहनत से भोली में आत्मविश्वास आने लगा और वह समझ हासिल करने लगी। वह एक मेहनती बच्ची और एक समर्पित विद्यार्थी थी। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और खुद को बेहतर बनाया क्योंकि वह जानती थी कि उसे उसके शिक्षक का समर्थन प्राप्त है। यहां तक कि वह सामाजिक बुराई के खिलाफ भी खड़ी हुई। निस्संदेह, अपने शिक्षक द्वारा प्रदान किए गए एक सहज वातावरण और सौम्य व्यवहार के अंतर्गत, उसने अपने डर को पीछे छोड़ दिया और खुद को बदल लिया
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📄लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न:-
1) भोली कैसी लड़की है?
उत्तर- भोली एक सीधी-सादी और मासूम लड़की है। वह बोलते समय हकलाती है। इसलिए वह कम बोलती है और अंतर्मुखी है।
लेकिन वह मेहनती है और अपने शिक्षक के उचित मार्गदर्शन और समर्थन से वह एक शिक्षित व्यक्ति बन जाती है।
2) भोली के पिता कौन थे?
उत्तर-भोली के पिता का नाम रामलाल था। वह गांव में राजस्व अधिकारी (नंबरदार) थे।
3) भोली का असली नाम क्या था?
उत्तर-भोली का असली नाम शुलेखा था। चूंकि वह बहुत अंतर्मुखी और मासूम थी, इसलिए वह भोली कहलाने लगी, जिसका अर्थ है सरल।
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