Thoreau: सिविल डिस-ओबेडिएंस (Civil Disobedience) की summary Hindi में
Civil Disobedience Summary (In Hindi)
Introduction : Henry David Thoreau :
हेनरी डेविड थोरो, एक प्रमुख पारलौकिकवादी, एक अमेरिकी विचारक, कवि, दार्शनिक और एक निबंधकार थे। वह गुलामी (slavery) और सामाजिक संस्थानों पर अपने हमलों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। वह एक अन्य अमेरिकी ट्रान्सेंडेंटलिस्ट राल्फ वाल्डो इमर्सन से काफी प्रभावित थे। इमर्सन के माध्यम से ही वो पारलौकिकता के विचार से परिचित हुए।
Thoreau के कार्यों में ट्रान्सेंडैंटलिज़्म केंद्रीय दर्शन है। उन्होंने कई व्याख्यान दिए जिनमेे उन्होंने लोगों के अधिकारों और उनकी इच्छाओं पर सरकार के अन्यायपूर्ण अतिक्रमण पर हमला किया। थोरो अपने व्याख्यान के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिसे बाद में एक निबंध सविनय अवज्ञा के रूप में प्रकाशित किया गया था। उनकी एक अन्य प्रसिद्ध कृति वाल्डेन नामक पुस्तक है।Henry David Thoreau | |
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Profile | |
Born | July 12, 1817, US |
Died | May 06, 1862, US |
School | Transcendentalism |
Interest | Ethics, poetry, religion, politics, biology, philosophy, history |
Essays | Civil disobedience, Slavery in Massachusetts, life without principles |
Notable Ideas | Abolitionism, tax resistance, development criticism, civil disobedience, conscientious objection, direct action, environmentalism, anarchism |
Era | 19th century philosophy |
Influences | Indian philosophy, Aristotle, Emerson, Darwin |
Influenced | Mahatma Gandhi, Martin Luther King Jr, Leo Tolstoy, John f. Kennedy, Walt Whitman |
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Background For : सविनय अवज्ञा (Civil Disobedience):-
व्याख्यान उस समय के दो प्रमुख मुद्दों, दासता (Slavery) और मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध के संदर्भ में दिया गया था। दो मुद्दे इस निबंध में विवाद के केंद्रीय विचार हैं। उत्तर में चल रहे औद्योगीकरण को देखते हुए, बढ़ती दासता को उत्तरवासियों द्वारा एक प्रमुख चिंता के रूप में माना जाने लगा।(क्योंकि फैक्टट्री में काम करने वाले वर्करों की दक्षिण के राज्यों में गुलामी व्याप्त होने के कारण भारी कमी थी।) 1960 के दशक तक, उत्तरवासियों की बढ़ती संख्या ने गुलामी विरोधी भावनाओं को प्रदर्शित किया। ऐसे समय में, Fugitive Slave law (एक गुलामी के अनुकूल कानून) के पारित होने ने कई अमेरिकियों को सविनय अवज्ञा के रूप में सरकार के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया।
बाद में 1865 में गुलामी को समाप्त कर दिया गया जब उत्तर ने अमेरिका में गृह युद्ध (1861-64) जीता। जनवरी 1865 में कांग्रेस द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया और दिसंबर 1865 में इसकी पुष्टि की गई।
सारांश: थ्रोरो द्वारा सविनय अवज्ञा:-
थ्रोरो ने अमेरिकी सरकार के प्रति नाराजगी के साथ अपना व्याख्यान शुरू किया। वह इस कहावत के साथ शुरू करते हैं, "वह सरकार सबसे अच्छी है जो कम से कम शासन करती है"। वह सरकार की भूमिका को सीमित करने की वकालत करते हैं। सरकार की भूमिका लक्ष्य प्राप्ति के साधन के रूप में कार्य करना है। उसे नागरिकों के अधिकारों में दखल नहीं देना चाहिए। लेकिन सरकार अपनी उपयोगिता साबित करने में विफल रही है। यह अन्यायपूर्ण और भ्रष्ट प्रथाओं के लिए असंवेदनशील है और इस तरह मानव की प्रगति में बाधा बनती है।
थोरो का तर्क है कि एक संस्था के रूप में सरकार किसी भी तरह से वैध और नैतिक दृष्टिकोण नहीं रखती है, यह केवल वैधता रखती है क्योंकि यह सबसे मजबूत समूह का दृष्टिकोण है। वह गुलामी और मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध को उठाता है, जिसे केवल इस आधार पर वैध दृष्टिकोण के रूप में नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उन्हें राज्य अर्थात सबसे मजबूत संस्था द्वारा समर्थन प्राप्त है। थोरो मनुष्य को अपने विवेक पर शासन करने के लिए कहता है। वह सरकार को लोगों की इच्छा पर हुक्म चलाने की अनुमति नहीं देते है।
Related Links | |
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Critical Theory | Aristotle's Theory of Catharsis |
American Literature | Emerson: Self Reliance |
British Literature | Shakespeare : King Lear |
Linguistics | Phonetics & Phonology |
सरकार के प्रति थोरो का अविश्वास, सरकार के करप्ट और पछपात पूर्ण होने की प्रवृत्ति से उपजा है। सरकार स्वाभाविक रूप से दमनकारी प्रथाओं को पनाह देती है क्योंकि यह कुछ लोगों को बहुमत पर अपनी इच्छा थोपने में सक्षम बनाती है। वह सरकार को अन्याय का एजेंट बताते हैं और जो करप्ट है।
थोरो कहते हैं की अमेरिकी लोगों को वही करना चाहिए जो उन्हें सही लगता है। एक आदमी का दायित्व है कि वह अपनी अंतरात्मा की इच्छा के अनुसार कार्य करे, भले ही वह बहुमत की इच्छा के विरुद्ध हो। थोरो अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण उद्देश्यों के लिए सरकार को समर्थन नहीं देने के लिए कहते है।
प्रतिरोध देशभक्ति का सर्वोच्च रूप है। यह सरकार को जड़ से उखाड़ने की नहीं बल्कि लंबी अवधि में बेहतर बनाने की इच्छा को प्रदर्शित करता है। यदि किसी अन्यायी सरकार का प्रत्यक्ष रूप से विरोध नहीं करना है, तो सच्चे दृढ़ विश्वास वाले व्यक्ति को उसका अप्रत्यंयक्ष समर्थन रोक देना चाहिए। यह अप्रत्यक्ष समर्थन करों के रूप में हो सकता है। उसे सरकार के अन्यायपूर्ण कारणों के लिए करों का भुगतान करने से मना कर देना चाहिए। टैक्स डॉलर दमनकारी सरकारी नीतियों को जारी रखने में सक्षम बनाता है।
सरकार अपना अधिकार जनता से लेती है। लोगों को सरकार से अपना समर्थन वापस लेना चाहिए और जेलों में जाने का जोखिम उठाना चाहिए। सभी नागरिको को जेल में रखने या दासता को समाप्त करने के के फैैसले पर, राज्य बाद वाले को चुनेगा। उन्होंने चुनाव कर का भुगतान करने से इनकार करने की अपनी कार्रवाई का भी उल्लेख कियाा, उन्हें एक रात के लिए जेल में डाल दिया गया था। उनका तर्क है कि यदि किसी की अंतरात्मा स्वतंत्र है, तो वह हर जगह स्वतंत्र है, जो उसकी इच्छा के विरुद्ध कानूनों के हुक्म से उसे बचाता है।
थोरो अराजकता या सरकार को पूरी तरह से उखाड़ फेंकने की वकालत नहीं करते हैं। वह केवल तब तक समर्थन वापस लेने की बात करते है जब तक कि एक बेहतर सरकार की स्थापना नहीं हो जाती। उन्हें सरकार विरोधी नहीं कहा जा सकता; उनके द्वारा सरकार की किसी भी नीति की पूर्ण अस्वीकृति की सिफारिश नहीं की गई है। वह वास्तव में सरकार की कुछ कल्याणकारी नीतियों का समर्थन करने को तैयार है। वह लोकतांत्रिक तरीकों से बदलाव की वकालत करते हैं।
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